"आज मैं जो हूँ"
आज मैं जो हूँ।
वाकय में मैं हूँ।।
खुद पे यकीन नहीं होता।
कि मै एक इंसान हूँ।।
मेरा कर्तव्य क्या है।
मैं किसके लिए जी रहा हूँ।।
मुझे खुद ही नहीं पता।
क्या करुँ क्या न करुँ।।
किसके लिए करुँ और क्यों करुँ।
ये सवाल मन में हैं रहता।।
लेकिन जीना ही।
सबका मकसद होता है।।
कैसे जीना होता है।
उसे पता नहीं होता है।।
आज मैं जो हु।
वाकय में मैं हूँ।।
कविः- रविकिशन, कक्षा- 11th, अपना घर, कानपुर,
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