"नया साल का बहार आया"
नया साल का बहार आया।
न जाने क्या-क्या त्यौहार लाया।।
पुराने विचारो को बदलने का वक्त आया।
सभी के लिए नया साल है आया।।
सभी को इस पल का था इंतजार।
न जाने बदलाव लाने के लिए कब से था तैयार।।
ये नया साल का था त्यौहार।
लोगो के अंदर उम्मीदों का था बहार।।
नया साल का था त्यौहार।
कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें