गुरुवार, 31 दिसंबर 2020

कविता :- नया साल का बहार आया

"नया साल का बहार आया"
नया साल का बहार आया।
न जाने क्या-क्या त्यौहार लाया।।
पुराने विचारो को बदलने का वक्त आया।
सभी के लिए नया साल है आया।।
सभी को इस पल का था इंतजार।
न जाने बदलाव लाने के लिए कब से था तैयार।।
ये नया साल का था त्यौहार।
 लोगो के अंदर उम्मीदों का था बहार।।
नया साल का था त्यौहार। 
 कविः - विक्रम कुमार ,कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
 

कवि परिचय : यह कविता विक्रम के द्वारा लिखी गई है।  विक्रम बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं। विक्रम को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है। और वह अपनी प्यारी -प्यारी कविताओं एकत्रित कर उन्हें एक किताब में प्रकाशित करवाना चाहता है।  विक्रम एक रेलवे डिपार्टमेंट में काम करना चाहते हैं।

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