"अच्छा इन्सान"
इतना आसान नहीं होता।
एक अच्छा इंसान बनना।।
जितना एक चोर बनना।
एक अच्छा इंसान बनान के लिए।।
देनी पड़ती है हजारों कुरबानियाँ।
जात - पात को हटाना पड़ता है।।
भेद - भाव से दूर रहना पड़ता है।
यहाँ तक परिवार को भी छोड़ना पड़ता है।
एक सामान द्रष्टि से सबको देखना पड़ता है।।
एक अच्छा इन्सान बनाने के लिए।
दूसरों का मदद करना पड़ता है।।
उदास हुए लोगो को हसाना पड़ता है।
अपनी ख़ुशी को एक दूसरे से बाटना पड़ता है।।
तब जाके एक अच्छा इंसान बन पता है।
कविः- नितीश कुमार, कक्षा -10th ,अपना घर, कानपुर,
कवि परीचय : शांत स्वभाव के नितीश कुमार बिहार के नवादा
जिले से अपना घर में पढ़ाई के लिए आये हैं। इन्हें कविता लिखना पसंद है।
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