सोमवार, 2 सितंबर 2019

कविता : सेब

" सेब "

कश्मीर की सर जमीं पर,
उगता हूँ बर्फ जमीं पर |
ठण्ड की वजह से ख़राब नहीं हूँ,
मैं तो एक लाल रसीला सेब हूँ,
मीठा तो हूँ पर खट्टा नहीं,
कश्मीर में तो हूँ , पर लोगों के पास नहीं |
मेरी विशेषताएं कुछ ऐसी है,
काफी हद तक राजा जैसी है |
मेरे चाहने वाले इतने है की मुझे पता नहीं,
सभी मुझे कहते है ,कोई मुझसे खफा नहीं |

                                                                                                         कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर

कवि परिचय : यह कविता प्रांजुल के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के निवासी हैं | प्रांजुल को कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है | प्रांजुल को नै चीजें सिखने में बहुत रूचि है | प्रांजुल पढ़ाई के साथ - साथ गतिविधियों में भी अच्छा है |

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