" जब हँसता है मौसम तो "
जब हँसता है मौसम तो ,
बूँद बनकर आँसू टपकते हैं |
जब गाता मौसम तो ,
तूफान बनकर झकझोर कर देते हैं |
जब रूढ़ता है मौसम तो ,
ठिठुरे कर सहमे हैं |
जब मुस्कुराने लगता है मौसम।,
तो पूरे प्राकृतिक में महक छा जाती हैं |
हवाए भी कुछ कह जाती हैं ,
कवि : प्रांजुल कुमार ,कक्षा : 11th ,अपना घर
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