बुधवार, 23 सितंबर 2020

कविता : जब हँसता है मौसम तो

" जब हँसता  है मौसम तो "

जब हँसता है मौसम तो ,

बूँद  बनकर आँसू टपकते हैं | 

जब गाता मौसम तो ,

तूफान बनकर झकझोर कर देते हैं | 

जब रूढ़ता है मौसम तो ,

ठिठुरे कर  सहमे हैं | 

जब मुस्कुराने लगता है मौसम।,

तो पूरे प्राकृतिक में महक छा जाती हैं | 

हवाए भी कुछ कह जाती हैं ,


कवि  : प्रांजुल कुमार  ,कक्षा  : 11th ,अपना घर

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