" आओ चले कुछ सोचे "
आओ चले कुछ सोचे ,
हाथ पर हाथ रख कर बैठे |
जिंदगी में है तुम्हारे पास बहुत से कार्य,
इसीलिए नहीं करना तुम कभी आराम |
जिस दिन जग गये उसी दिन होगी शुरुआत ,
हर दिन अपना कार्य करते रहना |
एक दिन जरूर लोगो तक फैलेगी तुम्हरी बात ,
उस दिन तुम्हरे लिए होगा खाश |
कवि : विक्रम कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
2 टिप्पणियां:
सुन्दर
सुन्दर रचना।
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