" सुन -सान सी गालियाँ "
सुन - सान सी दिख रही थी वह गली,
जिस पर आवाजें गूँजा करती थी |
सन्नाटा छ गया सड़कों पर,
जहाँ गाड़ियों की सीटी बजती थी |
खामोश हो गया वह खेल का मैदान,
जहाँ बच्चे मैच का आनंद लिया करते थे |
खामोश सी बहने लगी है नदियाँ,
जहाँ बच्चे नहाया करते थे |
खामोश बैठा रहता है खिड़की के पास,
बचा नहीं उम्मीद की कोई अब आस |
खामोश हो गई वह दुकान,
जहाँ चाय पिया करते थे|
सुन - सान सी दिख रही थी वह गली,
जिस पर आवाजें गूँजा करती थी |
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा :6th , अपना घर
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