" हरियाली बन जाऊँ "
हरियाली को देखकर मन करता है,
खुद भी हरियाली में ढल जाऊँ |
शान्त स्वभाव से बढ़ता रहूँ,
पानी न मिलने पर मैं सूख जाऊँ |
हवा जब मेरे पास से गुजरे ,
शरण के लिए मेरे पास ठहरे |
नाच - नाच कर गाना गाऊं ,
मैं सबको ये पाठ पढ़ाऊँ |
अच्छी अच्छी बातें उन्हें सिखाऊँ ,
सीना ताने आसमान को बुलाऊँ |
मिनरल्स को दम भर खाऊं,
काश मैं हरियाली बन जाऊँ |
शांत स्वभाव से जिंदगी बिताऊँ | |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें