" गर्मी में बेहाल "
इस गर्मी में हालत है ख़राब,
दुनियाँ वाले हो जाएगें बेहाल |
पेड़ - पौधे हो गए सूखे,
कुछ लोग बैठे हैं भूखे |
हवाएँ भी रुख मोड़ लिया,
गर्मी को हमसे जोड़ दिया |
पंखें कूलर सब हो गए बेकार,
गर्मी से सब हो गए बेकार |
बाहर जाना हो गया बंद,
बच्चे हो गए तंग |
इस गर्मी में हालत है ख़राब,
दुनियाँ वाले हो जाएगें बेहाल |
कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " गर्मी में बेहाल " कुलदीप के द्वारा लिखी गई है जो की छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं | कुलदीप को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है | डांस करना भी बहुत अच्छा लगता है |
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