" चूहे की आवाज "
खिड़की के पास सो रहा था,
सपनों की दुनियाँ में खो रहा था |
तभी मुझे एक आवाज़ सुनाई दिया,
देखा तो एक चूहा दिखाई दिया |
सभी चूहा को माऱ रहा था,
चूहा डर से इधर -उधर भाग था |
मैनें पूछा चूहे का हाल,
तभी उसने मुझे कर दिया बेहाल |
मैनें कहा अब जाओ तुम अपने घर के पास,
दुबारा मत नज़र आना मोहल्ला के आस -पास | |
कवि : गोविंदा कुमार , कक्षा : 4th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " चूहे की आवाज " , गोविंदा के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं | गोविंदा को कवितायेँ लिखने में बहुत मज़ा आता है | पढ़ने में बहुत ही होशियार हैं और चेस खेलना बहुत अच्छा लगता है |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें