" तबाह है हम "
कोरोना के वजह से तबाह है हम
इस मुसीबत से बेवजह है हम
इस महामारी में परेशां है हम
झेलने पड़ रहे है अनेक गम |
खाने को तरस रहे हैं
गाँव की गली जाने के लिए तरस रहे हैं |
अपनों को आंखें देखने के लिए तरस रहीं हैं
नहीं तो कहीं आँसुओं की धाराएँ बह रहीं हैं |
इस महामारी से तबाह हैं हम
कुछ नहीं तो बर्बाद हैं हम
कवि : सनी कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | सनी को खेलकूद में बहुत रूचि है और बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते है |
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