शुक्रवार, 22 मई 2020

कविता : तबाह है हम

" तबाह है हम "

कोरोना के वजह से तबाह है हम 
इस मुसीबत से बेवजह है हम 
इस महामारी में परेशां है हम 
झेलने पड़ रहे है अनेक गम | 
खाने को तरस रहे हैं 
गाँव की गली जाने के लिए तरस रहे हैं | 
अपनों को आंखें देखने के लिए तरस रहीं हैं 
नहीं तो कहीं आँसुओं की धाराएँ बह रहीं हैं | 
इस महामारी से तबाह हैं हम 
कुछ नहीं तो बर्बाद हैं हम

कवि : सनी कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं | सनी को खेलकूद में बहुत रूचि है और बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते  है |

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