"मंजिल "
मै मंजिल की रह में निकला हूँ |
सारी कठिनाई से लड़ता हूँ
कभी उदास होता हूँ |
तो गिर कर संभालता हूँ
सारी हिम्मत को इक्क्ठा कर |
अपने लक्छ्य की ओर एक कदम मै बढ़ता हु न
तब जाकर मै थोड़ा सुकून सा पाता हूँ |
कभी बड़े भाई मदद से
खुद को मोटिवेट करता हूँ |
मै मंजिल की राह में निकला हूँ
सारी कठिनाई से लड़ता हूँ |
कवि :सार्थक कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर
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