"अनोखा "
सब सोचते है कुछ अनोखा कर जाऊ |
अपने भारत देश नाम रोशन कर जाऊ
सफलता की हर एक सीढ़ी पर |
संघर्ष के राह छोड़ जाऊ
उगते सूरज की तरह |
एक रोशनी का दीप बनकर बिखर जाऊ
बहती नदिंया के लहरों में दिशा बन जाऊ |
समुद्र तक छोड़ने उसका साथी बन जाऊ
सब सोचते है कुछ अनोखा कर जाऊ |
टूटे रिश्ते में एक प्यार बन जाऊ
सब लोग भाई चारा से रहे |
ऐसा एक देश बन जाऊ
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th
अपना घर
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