" मौसम बना दे "
जरा बादल से कुछ बूँदें गिरा दे,
चलती हवाओं की सन-सनाहट सुना दे |
जान आफत में फँसी है,
नहीं दिखती कहीं चेहरे पर ख़ुशी |
साथ में लेकर समुद्र की लहरें सुना दे,
चहकती चिड़ियों की आवाज सुना दे |
छल-छल कर झरने बरसे,
पेड़ -पौधे जानवर भी न तरसे |
कुछ इस तरह मौसम बना दे,
जरा बादल से कुछ मौसम बना दे |
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक "मौसम बना दे " सुल्तान के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सुल्तान को कवितायेँ लिखना बहुत अच्छा लगता है और साथ ही साथ चित्रकला में भी रूचि रखते हैं |
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