" टिमटिमाते तारे "
आसमान में सितारे,
लगते हैं कितने प्यारे |
एक जगह टिमटिमाते,
औरों को भी बुला लाते |
रात को जी भर जगमगाते,
सुबह होते ही पता नहीं
कहाँ चले जाते |
अब वो भी लगने लगे हैं प्यारे,
बनने लगे सभी के दुलारे |
पूरे जगत में इसकी महिमा फैली है,
लगता है भरी हुई प्रकाश की थैली है |
कवि : अप्तर अली , कक्षा : 3rd , अपना घर
कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " टिमटिमाते तारे " है अप्तर के द्वारा लिखी गई है जो की असम के रहने वाले हैं | इस कविता में तारों के बारे मैं बताया है की रात में तारे जब टिमटिमाते हैं तो कितने अच्छे लगते हैं | अप्तर को कविता लिखने का बहुत शौक है अभी - अभी कविता लिखने की शुरुआत की है | उम्मीद है की आगे चलकर और भी अच्छी कवितायेँ लिखेंगें |
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