बुधवार, 8 जुलाई 2020

कविता : टिमटिमाते तारे

" टिमटिमाते तारे "

आसमान में सितारे,
लगते हैं कितने प्यारे | 
एक जगह टिमटिमाते,
औरों को भी बुला लाते | 
रात को जी भर जगमगाते,
सुबह होते ही पता नहीं 
कहाँ चले जाते | 
अब वो भी लगने लगे हैं प्यारे,
बनने लगे सभी के दुलारे | 
पूरे जगत में इसकी महिमा फैली है,
लगता है भरी हुई प्रकाश की थैली है | 

कवि : अप्तर अली , कक्षा : 3rd , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक " टिमटिमाते तारे " है अप्तर के द्वारा लिखी गई है जो की असम के रहने वाले हैं | इस कविता में तारों के बारे मैं बताया है की रात में तारे जब टिमटिमाते हैं तो कितने अच्छे लगते हैं | अप्तर को  कविता लिखने का बहुत शौक है अभी - अभी कविता लिखने  की शुरुआत की है | उम्मीद है की आगे चलकर और भी अच्छी कवितायेँ लिखेंगें | 

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