रविवार, 26 जुलाई 2020

कविता : कुछ बूंदें गिरा दे

" कुछ बूंदें गिरा दे "

जरा बादल  से कुछ बूँदें गिरा दो,
चलती हवाओं की सन सनाहट सुना दो | 
जान आफत में फंसी है,
नहीं दिखती चेहरे पर कोई हँसी है | 
साथ में लेकर समुद्र की लहरे सुना दे,
बंद घरों से उन्हें बाहर बुला दे | 
चहकती चिड़ियों की आवाजे सुना दे,
बदलते रूप की महिमा दिखा दे |
कुछ इस तरह मौसम बना दे,
जरा बादल से कुछ बूँदें गिरा दे | 

कवि :सनी कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर 

कवि परिचय : यह कविता जिसका शीर्षक "  कुछ बूंदें गिरा दे" सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | सनी ने यह कविता मौसम को देखकर लिखी है | सनी को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है और अभी तक बहुत सी कवितायेँ लिख चुके हैं |