"खेल "
खेल के मैदान में ,
हार -जीत का फासला बना रहता है |
जो मंजिल बुना है तूने ,
उस कोशिश में लगा रहना पड़ता है |
आत्मा और अपने ये धीरज रखो ,
संघर्ष का रास्ता बहुत लम्बी होती है|
उस पर कदम से कदम मिलकर चलना उचित है ,
तूने तो अब बुनियाद रचना शुरू किया है |
अब तो दूर सागर पार जाओगे ,
खेल के मैदान में |
हर -जीत का फासला बना रहता है,
कवि :नीरू कुमार , कक्षा :8th
अपना घर
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