मंगलवार, 2 अक्टूबर 2012

शीर्षक :- जारी

    शीर्षक :- जारी
 सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।
 इस गंदे संसार मे कंहा रहूँ ।।
 हर जगह है दुराचारी ।
 हर जगह है भ्रष्टाचारी ।।
 और हर तरह यौन हिंस्सा है जारी।
 सोचता हूँ जिंदगी में क्या करूँ ।।
 जिधर देखो उधर है जाती वाद ।
 हर चीज के लिय है मारा मारी ।।
 इस संसार मे सुरक्षित नहीं है नारी ।
 जंहा देखो वही  यौन हिंस्सा है जारी ।।
 नाम : सागर कुमार 
 कक्षा : 9
 अपना घर , कानपुर 

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

तुम जैसे युवाओं को ऐसी निराशा भरी बात नहीं करना चाहिये...तुम्हें ही तो सब कुछ बदलना है..तुमसे ही उम्मीदें हैं...