शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2012

शीर्षक : आसमान

शीर्षक : आसमान 

आसमान तो खुला हुवा है ।
पानी झरना जैसे  बरस रहा है।
आओ बच्चो खूब नहाओ ।
हँसो कूदो और गाना -गाओ ।
बचपन है अपना मस्ती का ।
इसमें तुम मस्त -मस्त हो जाओ ।
बचपन हो न पाए पचपन ।
ठहाके मारो लगा के तन-मन ।
आसमान तो खुला हुवा है ।
मारकर ईटा तारे तोड़ो ।
और चाँद सितारे तोड़ो।
बच्चे होते है सच्चे ।
प्यारे - प्यारे दिल के अच्छे ।
आसमान तो खुला हुवा है ।
पानी झरना जैसे  बरस रहा है ।

नाम : मुकेश कुमार, कक्षा : 11,  "अपना घर",  कानपुर

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