सोमवार, 3 सितंबर 2012

शीर्षक :- बचपन

शीर्षक :- बचपन 
याद आते वो बचपन के दिन।
न बीतता था समय खेले बिन।। 
वो मौजमस्ती और बीते वो पल।
याद आ जाते है आजकल।। 
वो कबड्डी और गुल्ली डंडा। 
दिन भर खेलना अपना था बस यही फंडा।। 
दोस्तों संग वो लुका छुपाई। 
कभी याद आ जाते है भाई।। 
खेल-खेल में समय गया कब बीत। 
समझ आई अब दुनिया की रीति।। 
दोस्तों में न करते थे भेदभाव। 
एक दुसरे के लिए था दिलों में घाव।। 
कवि:- धर्मेन्द्र कुमार 
कक्षा:- 9 
अपना घर  

कोई टिप्पणी नहीं: