शुक्रवार, 21 दिसंबर 2018

कविता : जिसे मैं देख न सका

" जिसे मैं देख न सका "

क्या वो चीज है,
जिसे मैं देख नहीं सका |
आँखों के पलकों से गुजर गया,
 ये ठंडी हवा का झोका था |
जिसे मैं देख न सका | |
चन्द्रमा जैसी मुस्कान थी,
खुशियों की बौछार थी |
जिसे मैं देख न सका |
ये माँ का गोद था,
जिस पर मैं खो गया था |
जिसे मैं देख न सका | |

कवि : कुलदीप कुमार , कक्षा : 7th , अपना घर



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