मंगलवार, 27 नवंबर 2018

"फूल "
मखमल सी डाल पर खिलता हूँ,
हर एक अजनबी से मिलता हूँ |
चाँद और सूरज की रौशनी झेलता हूँ,
काटों की दुनियां में भी खुश रहता हूँ |
पंखुड़ियाँ मेरी झर जाती हैं,
जमीं पर गिरकर बिखर जाती हैं |
फिर भी मैं उदास नहीं होता हूँ,
मैं हर खुशनशीब के पास होता हूँ |
सारी सुंदरताओं का एक निचोड़ है,
मेरे सभी तनों में मोड़ है |
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर



कोई टिप्पणी नहीं: