गुरुवार, 5 जून 2025

कविता : " आँधी "

" आँधी "
 आँधी  आई जोर - जोर से ,
डाले टूटी है झुकोर से ,
उड़ा घोसला , अंडे फूटे ,
किस्से दुःख कहेगी , 
अब यह चिडिंया कहा रहेगी , 
आँधी  आई जोर - जोर से ,
गिरे पत्ते , टूटे अंडे ,
रह गए घोसला खाली। 
कवि : गया कुमार, कक्षा : 5th,
अपना घर।  

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