सोमवार, 2 जून 2025

कविता : " युद्धभूमि के राजा "

 " युद्धभूमि के राजा " 
वीरो का वीर है, तू  ,
युद्धभूमि का राजा है , तू 
धरती - आसमान में तेरा ही नाम ,
जब - जब युद्ध में जिसने तुझे ललकारा 
तब - तब उसको अपनी शक्ति से हराया। 
वीरो का वीर है , तू। 
हर वक्त प्रजा के साथ रहता।,
हर मुशीबतों का समाधान निकल ले जाता। 
तीरो जैसी रफ़्तार है , तेरी ,
कर्ण जैसी अवतार है , तेरी। 
तेरी एक आवाज से।,
आशमा भी प्रसन्न हो उठता है 
हर दिशा में तेरी ही जय जय कर होता 
वीरो का वीर है तू 
युद्धभूमि का राजा है , तू। 
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th, 
अपना घर। 

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