" युद्धभूमि के राजा "
वीरो का वीर है, तू ,
युद्धभूमि का राजा है , तू
धरती - आसमान में तेरा ही नाम ,
जब - जब युद्ध में जिसने तुझे ललकारा
तब - तब उसको अपनी शक्ति से हराया।
वीरो का वीर है , तू।
हर वक्त प्रजा के साथ रहता।,
हर मुशीबतों का समाधान निकल ले जाता।
तीरो जैसी रफ़्तार है , तेरी ,
कर्ण जैसी अवतार है , तेरी।
तेरी एक आवाज से।,
आशमा भी प्रसन्न हो उठता है
हर दिशा में तेरी ही जय जय कर होता
वीरो का वीर है तू
युद्धभूमि का राजा है , तू।
कवि : अमित कुमार, कक्षा : 11th,
अपना घर।
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