" राज पाठ "
जिंदगी से बढ़कर जिसको प्यारा होता है राज,
अपनों से बढ़कर जिसको प्यारा होता है राज |
जिसको प्यारी है सिर्फ उसकी कुर्सी,
जो राज पाठ के लिए कभी नहीं करता मटरगस्ती |
जिसके इशारों पर नाचती है बस्ती
जो कुर्सी के लिए रहता हमेशा बेताब,
जो लोगों को फाँसी पर चढ़ा देता बेनकाब |
जिसकी एक दहाड़ से डर जाते सारे राजा,
वही अपने देश का कहलाता राजा |
जिसने जिंदगी से बढ़कर राज को जाना,
जिसकी आँखों के सपने में था सिर्फ राज को पाना |
वही कहलाता है एक देश का राजा | |
कवि : समीर कुमार , कक्षा : 10th , अपना घर
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