" बादलों को छूना है "
रंगीन आसमां को देख
मन खुश हो जाता हैं,
बादलों की परछाईं
जो समेत रंग देता है |
देख बादलों की परछाई
चंचल से होती है,
रंगीन आसमान को देख
मन खुश हो जाता है |
बैठ आसमान को देख,
उनकी गहराइयों को छूता हूँ |
उड़ते बादलों को पकड़ने,
की कोशिश बस करता हूँ |
बनते बदल मुझसे कहते हैं,
साथ चलोगे यह मुझसे पूछते हैं |
रंगीन आसमां को देख
मन खुश हो जाता हैं| |
कवि : सनी कुमार , कक्षा : 9th , अपना घर
कवि परीचय : यह कविता सनी के द्वारा लिखी गई है जो की बिहार के रहने वाले हैं | इस कविता का शीर्षक " बादलों को छूना है " है | इस कविता में सनी ने बादलों को छूने की इच्छा को व्यक्त की है जो की एक काल्पनिक है | सनी को खेलकूद में भागीदारी लेना बहुत पसन्द है | सनी एक पढ़ने के साथ एक अच्छे और नेक इंसान बनना चाहते हैं |
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