" घर बैठे -बैठे हो गए परेशां "
घर बैठे -बैठे हो गए परेशां,
क्योंकि बाहर है कोरोना मेहमान |
कुछ दिन पहले दुकानों में बिकते थे सिगरेट,
उसी दुकानों के सड़कों पर खेलते थे क्रिकेट |
आज हम नहीं जा पा रहे प्लेग्राउंड,
क्योंकि पूरे देश में लगा है लॉकडाउन |
पुलिस गाड़ी रुकवा कर मार रहे है लाठी,
इस हरकत को देख भाग जाते बाकी |
पूरे देश में मचा है हाहाकार,
भूख से तड़प रहे हो गए लाचार |
दो वक्त की रोटी हो गई मुश्किल,
दुआ करते हैं रोटी हो जाए हाशिल |
जब ख़त्म होगा कोरोना का प्रकोप,
खुश हो जाएगें खानाबदोश |
कवि : पिंटू कुमार , कक्षा : 5th , अपना घर
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