" मौसम है कितने प्यारे "
बदलते मौसम के नज़ारे ,
लगते हैं कितने प्यारे |
कहीं धूप तो कहीं छाँव है,
इस मौसम में सब बेहाल है
खेतों में ही हरियाली है
गांव में या खलियानों में,
खेतों या पहाड़ों में |
ये नज़ारे आँखों को चुभते ही नहीं,
इनकी शिकायतें कभी करते नहीं |
ये मौसम बिलकुल अनजान से लगते हैं,
कभी अकेले किसी से डरते नहीं |
बदलते मौसम के नज़ारे ,
लगते हैं कितने प्यारे |
कवि : सुल्तान कुमार , कक्षा : 6th , अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें