बुधवार, 30 जून 2021

कविता: "ये गर्मी"

"ये गर्मी"

ये गर्मी ने तो हद कर दी | 

पसीना बहा -बहा कर सबका ,

कर दिया बुरा हाल | 

न कुछ समझ में आता ,

 सिर्फ़ लोगों को गर्मी | 

ये गर्मी ने तो सब का जीना ,

कर दिया हराम | 

गर्मी के नाम से घर से बाहर नहीं  निकलते हैं ,

सब लोग कूलर और पंखा के सहारे हैं | 

कवि : सार्थक कुमार ,कक्षा : 11th

अपना घर

 

 

 

 

कोई टिप्पणी नहीं: