" ज़माना अब बदलता जा रहा हैं "
ज़माना अब बदलता जा रहा हैं |
लोग और विचार बदलते जा रहें है,
इस घड़ी में सभी को ढ़लना होगा |
बस कल्पना रहती हैं ,
आने वाले समय का क्या होगा |
लोगों का भिजाज़ बदल रहा ,
सोंचने का अन्दाज़ बदल रहा |
रीति -रिवाजें बैण्ड -बाजे ,
सब बदल रहें हैं |
आने वाला हर कल बदल रहा हैं ,
पढ़ाई करने का स्तर बदल रहा |
तुम्हें बदलना होगा , हम को बदलना होगा ,
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12
अपना घर
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