"रात को सपना देख रहा था "
रात को सपना देख रहा था तो |
लग रहा था कि मैं बेड पे सो रहा हूँ ,
सुबह अचानक नींद खुला तो देखा |
कि मैं तो बेड के नीचे सो रहा हूँ ,
सपनें मैं देखता हूँ तो |
लगता हैं कि घूम रहा हूँ पूरा संसार ,
अचानक आँख खुलता तो |
और कहीं होता हूँ पर ,
रात का दिन खांस होता हैं |
कवि : रोहित कुमार ,कक्षा : 4
अपना घर
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