" कुछ ऐसे ख्वाब है "
कुछ कुछ ऐसे ख्वाब है |
जो पूरा नहीं कर सकते ,
पर उसके बिना हम |
नहीं रह सकते ,
संग सपने हम खूब सजाते |
पर भविष्य में क्या होगा ,
ये हम नहीं समझ पाते |
कुछ पल हम एक दूसरे के साथ होते है ,
उसी में सारी जिन्दगी का |
बहाब होते है ,
अगर हम एक दुसरे से जुदा होते है |
तो जिस तरह जुड़ा उसी तरह टूटती है ,
जैसे हम पहली बार मिलते है |
तो पूरी -पूरी रात नहीं सोते है ,
तो सोच लो यार |
कुछ ऐसे ख्वाब होते है ,
कवि : देवराज कुमार ,कक्षा : 11
अपना घर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें