शनिवार, 12 जून 2021

कविता : " कुछ ऐसे ख्वाब है "

"  कुछ ऐसे ख्वाब है "

कुछ कुछ ऐसे ख्वाब है | 

जो पूरा नहीं कर सकते ,

पर उसके बिना हम | 

नहीं रह सकते ,

संग सपने हम खूब सजाते |

पर भविष्य में क्या होगा ,

ये हम नहीं समझ पाते | 

कुछ पल हम एक दूसरे के साथ होते है ,

उसी में सारी जिन्दगी का | 

बहाब होते है ,

अगर हम एक दुसरे से जुदा होते है | 

तो जिस तरह जुड़ा उसी तरह टूटती है ,

जैसे हम पहली बार मिलते है | 

तो पूरी -पूरी रात नहीं सोते है ,

तो सोच लो यार | 

कुछ ऐसे ख्वाब होते है , 

कवि : देवराज कुमार ,कक्षा : 11 

अपना घर


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