"चाँद"
चाँद से दूर रहकर भी |
हम चाँद पर जाने की बात करते हैं ,
वहाँ के नाजारो को हम |
अपने नजरों में उतारना चाहते हैं ,
बीते सदियो से देखते चले आए है |
इस चाँद को ,
आखिर कौन सी ऐसी रोशनी हैं |
जो इसको इतना खूबसूरत बनाती हैं ,
कभी नही दिखती है कभी दिखती हैं |
क्या रहस्य है इसका ,
जो अपनी ओर आकर्षित करती हैं |
कवि : नितीश कुमार ,कक्षा : 11th
अपना घर
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