"बचपन "
खिल खिलाहट भरी हँसी की आवाज है बचपन |
माँ की प्यार है बचपन ,
पापा के आँखो का तारा है बचपन |
खिलौनो की भंडार और नखरों की ,
भरमार है बचपन |
आँगन खेल का मैदान और,
पूरा घर ही संसार है बचपन |
पेड़ पर चड़ना और दोस्तों से लड़ना,
दो पल में ही सबकुछ भुला कर |
आपस में खेलना है बचपन ,
स्कूल में शैतानी करना |
बहनें और भाई से मनमानी,
करना ही है बचपन |
जीवन में एक अनोखा पल है बचपन,
सबसे अलग और अलग है बचपन |
कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8
अपना घर
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