मंगलवार, 8 जून 2021

कविता : "बचपन "

"बचपन "

खिल खिलाहट भरी हँसी की आवाज है बचपन | 

माँ की प्यार है बचपन ,

पापा के आँखो का तारा है बचपन | 

खिलौनो की भंडार और नखरों की ,

भरमार है बचपन | 

आँगन खेल  का मैदान और,

पूरा घर ही संसार है बचपन | 

पेड़ पर चड़ना और दोस्तों से लड़ना,

दो पल में ही सबकुछ भुला कर | 

आपस में खेलना है बचपन ,

स्कूल में शैतानी करना | 

बहनें और भाई से मनमानी,

करना ही है बचपन |

जीवन में एक अनोखा पल है बचपन,

सबसे अलग और अलग है बचपन | 

कवि : राहुल कुमार , कक्षा : 8 

अपना घर

 


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