गुरुवार, 1 जुलाई 2021

कविता : " ये कहानी ही है अजीब "

" ये कहानी ही है अजीब "

 ये कहानी ही है अजीब | 

मेरे नही है कुछ नसीब ,

हर चीज में मेरी आता स्कावत | 

मै भरता हूँ हर होसलों से आहट ,

दुनिया है मेरा उस चाँद के पास | 

फिर मै क्या कर रहा हूँ यहा इस पार ,

मै कोशिश करता हूँ बार -बार | 

उस पार जाने को ,

क्या करू मै मेरे नसीब नहीं हैं | 

कुछ पाने को ,

ये कहानी है ही अजीब | 

कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th 

अपना घर

 

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