" ये कहानी ही है अजीब "
ये कहानी ही है अजीब |
मेरे नही है कुछ नसीब ,
हर चीज में मेरी आता स्कावत |
मै भरता हूँ हर होसलों से आहट ,
दुनिया है मेरा उस चाँद के पास |
फिर मै क्या कर रहा हूँ यहा इस पार ,
मै कोशिश करता हूँ बार -बार |
उस पार जाने को ,
क्या करू मै मेरे नसीब नहीं हैं |
कुछ पाने को ,
ये कहानी है ही अजीब |
कवि : देवराज कुमार , कक्षा : 11th
अपना घर
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