" इस ऊमस भरी गर्मी में "
इस ऊमस भरी गर्मी में |
कैसे जिया जाए क्या किया जाए ,
कुछ सूझता नहीं , तन सूखता कहीं |
बिन हवा के कैसे रहा जाए ,
इसे ऊमस भरी गर्मी में कैसे रहा जाए |
पसीने की कतार -धार चढ़ी है ,
बिना पेड़ो के गर्मी और भी कड़ी है |
इस ऊमस भरी गर्मी में कैसे रहा जाए ,
कवि : प्रांजुल कुमार , कक्षा : 12th
अपना घर
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