" जिसे हम पापा कहते है "
घर में होता है वह इंसान |
जिसे हम पापा कहते है ,
सभी की खुशियां का ध्यान रखते |
हर किसी की इच्छा पूरी करते हैं ,
खुद गरीब और बच्चों को अमीर बनाते हैं |
जिसे हम पापा कहते हैं,
बड़ों की सेवा भाई बहनों में लगाव |
पत्नी को प्यार ,बच्चों को दुलार ,
बेटी की शादी ,बेटों का मकान |
बहूओ की खुशियां दावानों का मान ,
कुछ ऐसे ही सफर में गुजर वह शाम |
जिसे हम पापा कहते हैं ,
कवि : संतोष कुमार , कक्षा : 6th
अपना घर
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