मंगलवार, 9 मई 2023

कविता :"क्यों हम"

"क्यों हम" 
 ये खुदा मुझे मेरे एक ,बात का जवाब दे | 
मुझे मेरी जिंदगी का ,मुझे हिसाब दे | 
क्यों नहीं मेरे बचपन में ,शैतानिया लिखा | 
क्यों नहीं मेरी माँ , से मेरी मनकानिया लिखा है | 
क्यों नहीं इसमें  मेरी, दादी की कहानियाँ है| 
क्यों नहीं इसमें नादानियाँ है ,
क्यों नहीं मेरे हाथो में कलम लिखा है | 
क्यों दो पल की खुशी और ,
बाकी जिंदगी आँखे नम लिखा है | 
क्यों काली परछाई में ,हम ही हम लिखा है |  
कवि :देवराज ,कक्षा :12th
अपना घर  

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