"क्यों हम"
ये खुदा मुझे मेरे एक ,बात का जवाब दे |
मुझे मेरी जिंदगी का ,मुझे हिसाब दे |
क्यों नहीं मेरे बचपन में ,शैतानिया लिखा |
क्यों नहीं मेरी माँ , से मेरी मनकानिया लिखा है |
क्यों नहीं इसमें मेरी, दादी की कहानियाँ है|
क्यों नहीं इसमें नादानियाँ है ,
क्यों नहीं मेरे हाथो में कलम लिखा है |
क्यों दो पल की खुशी और ,
बाकी जिंदगी आँखे नम लिखा है |
क्यों काली परछाई में ,हम ही हम लिखा है |
कवि :देवराज ,कक्षा :12th
अपना घर
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