"अंधकार "
अंधकारों से मै ढका हुआ था |
न इधर का ,न उधर का |
न सड़क पर ,न खलियानो पर |
दूर कंही शहर के चुराहों पर ,
बस यूँ ही रुका हुआ था |
अंधकारों स मै ढका हुआ था ,
बस सांस थी ,तो आस थी |
न रो पाया, न हंस पाया ,
बस दूर से मुस्कुराया |
यूँ ही चेहरे पर मुस्कान टिका हुआ था ,
अंधकारों से मै ढका हुआ था |
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th
अपना घर
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