सोमवार, 1 मई 2023

कविता : "चलना बहुत दूर है "

"चलना बहुत दूर है "

मत दम तोड़ो साथियो | 
चलना बहुत दूर है ,
मंजिल की रह भटक रही है | 
पर चलना जरूर है , 
प ल -पल में मत खुशियाँ है | 
पर कष्टो में भी सकुन  है ,
हार तो हम रहे है | 
पर आज भी जीतने  का जुनून है ,
भेद -भाव बसती जहाँ है | 
वहाँ भी एक ही खून है ,
मत दम तोड़ो साथियो | 
चलना बहुत दूर है ,
कवि  :कुल्दीप ,कक्षा :12th 
अपना घर 


कोई टिप्पणी नहीं: