"चलना बहुत दूर है "
मत दम तोड़ो साथियो |
चलना बहुत दूर है ,
मंजिल की रह भटक रही है |
पर चलना जरूर है ,
प ल -पल में मत खुशियाँ है |
पर कष्टो में भी सकुन है ,
हार तो हम रहे है |
पर आज भी जीतने का जुनून है ,
भेद -भाव बसती जहाँ है |
वहाँ भी एक ही खून है ,
मत दम तोड़ो साथियो |
चलना बहुत दूर है ,
कवि :कुल्दीप ,कक्षा :12th
अपना घर
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