बुधवार, 17 मई 2023

कविता :"मैं क्या कर सकता हूँ "

"मैं क्या कर सकता हूँ "
 उन हवाओं को चीरकर | 
चाँद -तारो को छीनकर ,
जमी पर ला सकता हूँ | 
पहाड़ो को तोड़कर ,
पत्थरो को फोड़कर | 
जाने क्या बना सकता हूँ ,
जमी को खोदकर | 
आसमान को फोड़कर ,
जाने क्या ला सकता हूँ | 
अपने सपने ना मुमकिन को,
मुमकिन बना सकता हूँ | 
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th 
अपना घर 

कोई टिप्पणी नहीं: