"आकाश तक छू जाता "
काश मुझे कोई समझ पता |
आकाश तक छू जाता ,
सबसे ऊपर मै कहलाता |
अपने अधूरे ख्वाइशे अजमाता ,
माँ का प्यार परिवार का दुलार पाता |
काश मुझे कोई समझ पाता ,
आकाश तक छू जाता |
माँ का प्यार पाता ,
काश कोई मुझे समझ पाता |
आकाश में जा पाता ,
काश कोई मुझे समझ पाता |
कवि :रोहित कुमार , कक्षा :6th
अपना घर
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