"नींद "
सुबह मुझे आती है बहुत नींद |
झपकती रहती मेरी फाली बींद ,
अँधेरा -अँधेरा हो जाता जग |
सोने में आता मजा तब ,
उठने में करता हूँ आनाकानी |
धीरे -धीरे बीत रही है जवानी ,
मन लगता है मुझको भारी |
नींद होती है सबको प्यारी ,
सुबह मुझे आती है बहुत नींद |
कवि :कुल्दीप कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर
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