मंगलवार, 16 मई 2023

कविता :"नींद "

"नींद "
 सुबह मुझे आती है बहुत नींद | 
झपकती रहती मेरी फाली बींद ,
अँधेरा -अँधेरा हो जाता जग | 
सोने में आता मजा तब ,
उठने में करता हूँ आनाकानी | 
धीरे -धीरे बीत रही है जवानी ,
मन लगता है मुझको भारी | 
नींद होती है सबको प्यारी ,
सुबह मुझे आती है बहुत नींद | 
कवि :कुल्दीप  कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

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