गुरुवार, 11 मई 2023

कविता :"मौसम "

"मौसम " 
अब मौसम को क्या बताना | 
कभी कड़क गर्मी और धूप में मंडराना,
कभी काले  बादलो से सूरज को ढक ले जाना|  
बारिश का  मौसम का अब न कोई ठिकाना,
अब मौसम को क्या बताना | 
चलती और बहती झरनो को सुखा देना ,
प्रकृति में गर्मी से उथल-पुथल होना | 
अब मौसम को क्या बताना,
कभी कड़क गर्मी और धूप में मंडराना | 
कवि :अमित कुमार ,कक्षा :9th
अपना घर 
  

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