बुधवार, 10 मई 2023

कविता :"जिंदगी का मज़ा"

"जिंदगी का मज़ा" 
 जिंदगी आसान हो तो,शायद जीने का मज़ा हो | 
अगर खुदा हम पर मेहरबान हो ,
तो शायद जीने का मजा हो | 
अगर मेरे हाथो के लकीरो में , 
सब कुछ छप जाये तो | 
शायद  जीने का मजा हो, 
 पर जिंदगी तुम्हे ठोकर मरकर गिरा जाए | 
हाथो के लकीरो को मिटा जाए, 
सब कुछ छीनकर एक कब्र में दफना जाए| 
फिर उस कब्र से निकलकर जीने में मजा हो , 
फिर मेहनत से लड़ के | 
जीत का जाम पीने में मजा हो , 
जिंदगी को हार कर जितने में मजा हो| | 
कवि :देवराज ,कक्षा :12th 
अपना घर 

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