"जिंदगी का मज़ा"
जिंदगी आसान हो तो,शायद जीने का मज़ा हो |
अगर खुदा हम पर मेहरबान हो ,
तो शायद जीने का मजा हो |
अगर मेरे हाथो के लकीरो में ,
सब कुछ छप जाये तो |
शायद जीने का मजा हो,
पर जिंदगी तुम्हे ठोकर मरकर गिरा जाए |
हाथो के लकीरो को मिटा जाए,
सब कुछ छीनकर एक कब्र में दफना जाए|
फिर उस कब्र से निकलकर जीने में मजा हो ,
फिर मेहनत से लड़ के |
जीत का जाम पीने में मजा हो ,
जिंदगी को हार कर जितने में मजा हो| |
कवि :देवराज ,कक्षा :12th
अपना घर
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