शुक्रवार, 19 मई 2023

कविता "गर्मी"

"गर्मी"
गर्मी आई गर्मी आई | 
कड़क धूप की गर्मी आई ,
यंहा वंहा वो लूँ चलाई | 
सूरज दादा को लाज़ न आई, 
कड़क धूप की गर्मी आई | 
सब बच्चों को वो खूब सताई, 
सूरज दादा को लाज़ न आई | 
गर्मी आई गर्मी आई ,
कड़क धूप की गर्मी आई|  
कवि : सनी कुमार ,कक्षा :12th 
अपना घर 

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