"ये गर्मी"
ये गर्मी ने तो हद कर दी |
पसीना बहा -बहा कर सबका ,
कर दिया बुरा हाल |
न कुछ समझ में आता ,
सिर्फ़ लोगों को गर्मी |
ये गर्मी ने तो सब का जीना ,
कर दिया हराम |
गर्मी के नाम से घर से बाहर नहीं निकलते हैं ,
सब लोग कूलर और पंखा के सहारे हैं |
कवि : सार्थक कुमार ,कक्षा : 11th
अपना घर