"खिड़की के पास"
आज मै बैठा था खिड़की के पास |
देख रहा था मै उस पार
पेड़ -पौधे लगे थे आस पास |
उस पर चिड़िया फुदक रही थी डाल डाल
कोयल थी अपने में बेहाल |
कुहक -कुहक कर पूँछ रही थी हालचाल
होगया सवेरा अब उठ जाओ|
देखो कैसा है नजारा
उसमे तुम मगन हो जाओ |
कवि :नितीश कुमार ,कक्षा :12th
अपना घर
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