"गर्मी "
पसीना से हो गए लतपत |
कूलर ऐसी लगाओ झटपट
गर्मी में राहत मिले |
जब पंखा चले सर सर सर
रोक न पाए इस गर्मी को अब |
झुलस गए पेड़ -पौधे सब
सूख गए तालाब नदियां सब |
निकला जोर से सूरज तब
पसीना से हो गए लतपत |
कवि :सुल्तान ,कक्षा :9th
अपना घर
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