"हार से सीख "
एक बार में कोई कुछ कर नहीं गुजरता |
कुछ पाने की जिज्ञासा रखना सीख ,
हर बार कोई जीत के हारना नहीं सीखता|
तू हार के जीतना सीख ,
सब तो जीत के भी बेहतर करने की सोचते है|
तू हार के जीत से बेहतर करने की सीख ,
जीतों से तो कोई भी जीत लेता है |
पर तू हारों से सीख लेना सीख ,
अपने मन और आचना को दूसरों के खातिर|
सीख लेना सीख, कुछ पाने की जिज्ञासा रखना सीख |
कवि :महेश कुमार ,कक्षा :9th
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